Wednesday, March 12, 2014

आत्मबल

आत्मबल

जो सितारा मिला नहीं तुम्हें,
मत सोचो कि तुम उसके काबिल नहीं.
ज़हीन और मकबूल तुम कितने हो,
वो सितारा इस बात से वाकिफ़ नहीं.

तुम चले थे दुनिया के बनाए रस्ते पर,
इसीलिए वे तुम्हारी किस्मत न भांप सके.
और संभवतः यही कारण रहा होगा,
के वे तुम्हे ठीक से ना आँक सके.

इसमें उन राहों की कोई गलती नहीं,
और उन निगाहों की भी कोई गलती नहीं.
क्योंकी उन्होंने सीखा था सिर्फ ऊपर से देखना,
अतः वे तुम्हारे अंदर न झाँक सके.

पर घबराना मत और कभी पछताना भी मत,
इरादों को करो हिमालय, ताकि वे कभी न झुक सकें.
बनाओ नये रास्ते अपने,
जिनपे कल दूसरे भी चल सकें.

समन्दर में कितनी ही बूँदें गिरती हैं,
मौसम या बेमौसम के बारिशों की.
कुछ तो सीप में पड़ के आफताब हुए,
और कुछ नज्र हुए किस्मत के साजिशों की.

जैसे कि हवा, पानी और रूहानियत,
को इस जहां में कोई तोल नहीं सकता.
वैसे ही हिम्मत, माद्दे, जज़्बे और संस्कारों,
का इस इस कायनात में कोई मोल नहीं हो सकता.

जो बंद हुआ कल, उसे सिर्फ रोशनदान मानो,
क्योंकी आगे अनेक दरवाजे राह में हैं तुम्हारे.
जिससे चूक गये उसे सिर्फ एक पड़ाव मानो,
क्योंकी मंजिलें इंतज़ार में हैं तुम्हारे.

खुद पे हैसला और ईश्वर पे यकीन,
बस यही मनुज का संबल है.
आँधियों से डर के बैठ जाते हैं लोग अक्सर,
पर उसमें भी जो दिया जलाए वही आत्मबल है.

© सुशील मिश्र.

11/03/2014