Friday, April 25, 2014

सही रास्ता


सही रास्ता

नदी ही समन्दर का है रास्ता,
हवा ही बवंडर का है रास्ता.
खिलाफत पे दुनिया उतारू अगर है,
समझ लो मुकद्दस है ये रास्ता.

बढ़े जा अकेले जो अच्छा है दिल से,
वही तूफां झेले जो सच्चा है दिल से.
यही रीत है, और दस्तूर भी है,
बेख़ौफ़ नज़रें मिलाये जो कातिल से.

है छोटा बहुत पर असर भी बहुत है,
मदद की न दरकार उसको फ़कत है.
चमकता है जो खुद की रोशनी से,
जुगनू को लाज़िम ना कोई मदद है.

अन्धेरा जिसे देखकर भागता है,
सवेरा जिसे देखकर जागता है.
है उम्मीद की वो ऐसी ललक,
की सूरज भी जिससे किरण मांगता है.

मोहब्बत का बदला मोहब्बत से जो दे,
अदावत का बदला अदावत से जो दे.
वतन को ज़रुरत है ऐसे जिगर की,
हूकूमत का बदला हूकूमत से जो दे.

नदी ही समन्दर का है रास्ता,
हवा ही बवंडर का है रास्ता.
खिलाफत पे दुनिया उतारू अगर है,
समझ लो मुकद्दस है ये रास्ता.


© सुशील मिश्र.

25/04/2014

Wednesday, April 16, 2014

सोच


सोच

कभी इसके उसके सफ़र पे रंज करने को,
जो सीधा रास्ता पकड़े उसी को तंग करने को.
हिफाज़त जो वतन की करना चाहे इस बवंडर से,
खड़े तुम हो गए हो फिर उसी पे तंज़ करने को.

वो देखो आसमाँ में तुमको नहीं रस्ता दिखेगा पर,
पंछी ढूढ़ लेते आशियाँ उन्ही रस्तों पे चल करके.
सियासत क्या तुम्हारी है हमें भी तो बता दो यार,
कि खिलाफत ही करोगे बस चमन बदरंग करने को.

वो देखो एक नया सूरज उगने को तैय्यार बैठा है,
सिकन्दर भी समय से मान अपनी हार बैठा है.
ज़हन की खिड़कियाँ खोलने को तैय्यार जो तुम हो,
तुम्हे भी साथ लेंगे हम समय के संग चलने को.

© सुशील मिश्र.

  16/04/2014