एहसास
फिजां
में तपन दिल में खराश सी है,
अब
यहाँ हर एक शै उदास सी है.
कल
तक जिनके चेहरों पे नूर दिखता था,
पता
नहीं क्यों अब हर सूरत बदहवास सी है.
सीने
में जलन, लब पे प्यास लिए फिरता है,
जाने
क्योँ दिल में तड़प उसके बेहिसाब सी है.
लगता
है बहुत ही ज़ुल्मों ग़ारत हुई है इनपे,
गौर
से देखा तो उनके निशाँ आस पास ही हैं.
लड़
तो रहा है, हिम्मत तो दिखा रहा है,
पर
सपनों के बिखरने के सुबूत, साफ़ भी हैं.
सच्चाई,
इमानदारी और खुदमुख्तारी, ये वो फलसफे हैं,
इन
रास्तों को अख्तियार करने वाले, आजकल निराश भी हैं.
जिन्होंने
राह दिखाई, कम से कम उनपे तो भरोसा था,
अब
जा के पता चला की उनके कई चहरे और कई नकाब भी हैं.
कोइ
बात नहीं, जिसको जो करना है कर ले, हमें उपवाले पे ऐतबार है,
आ
जाओ अपने सवालों साथ, हमारे पास हर एक का माकूल ज़वाब भी है.
© सुशील मिश्र
27/09/2023