तुम्हे हो
मुबारक
घुटन से भरी ज़िंदगी
हो मुबारक,
चमन जिसमे तूफां वो
तुमको मुबारक,
बहुत भाव से जिनका
स्वागत किया है,
ऐसे पड़ोसी तुम्हे हो
मुबारक.
गैरत को जिसने यूँ
रुसवा किया है,
जिसने हमेशा तमाशा
किया है,
मोहब्बत को, हमेशा ही
खिलवाड़ समझा,
ऐसे पड़ोसी तुम्हे हो
मुबारक.
लोकतंत्र का
जिन्होंने ज़नाज़ा उठाया,
दुनिया के आतंकियों
को सर पे बिठाया,
अमन का जिन्होंने
वजूद मिटाया,
ऐसे पड़ोसी तुम्हे हो
मुबारक.
जो अपने रहनुमाओं को
बमों से उड़ायें,
तुम्हारे दुश्मनों से
ही दोस्ती बढ़ाएँ,
और फिर तुमको अमन भी
सिखाएं,
ऐसे पड़ोसी तुम्हे हो
मुबारक.
सोते हुए सैनिकों पे
जो गोली बरसायें,
पकड़े जाएँ तो दुनिया
भर में चिल्लाएं,
और सुबह फिर से वो ही
मोहब्बत सिखाएं,
ऐसे पड़ोसी तुम्हे हो
मुबारक.
कलम का नियम है आईना
दिखाना,
जो सच्चाई है उसे
सीधे बताना,
सियासत का नियम
सियासत ही जाने,
जो कलम ने बताया वो
माने या ना माने.
गर माना तो मुल्क
रहेगा सलामत,
अगर ना माना, तो फिर वाही पुरानी अदावत,
हांथों में खंजर ज़बां
से ही यारी,
गर इसी बात की है
तुम्हे बेकरारी.
तो यकीनन,
ऐसे पड़ोसी तुम्हे हो
मुबारक.
घुटन से भरी ज़िंदगी
हो मुबारक,
चमन जिसमे तूफां वो
तुमको मुबारक,
बहुत भाव से जिनका
स्वागत किया है,
ऐसे पड़ोसी तुम्हे हो
मुबारक.
© सुशील मिश्र
19/04/2012
2 comments:
shandar
Waah kya baat hai
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