Monday, January 28, 2013

हौसला



हौसला


उदासियाँ तलाशती रहीं हमें रंजिशों के साथ,
खिलखिलाता चेहरा देख कर हताश हो गईं.
गम तो बहुत थे सच में, इस ज़िंदगी में पर,
हिम्मत हमारी देखकर परवाज़ (उड़ना) हो गईं.

कांटे बहुत थे राह में और मंजिल का न पता,
भटकते थे बियाबान में पर छोड़ा ना हौसला.
भरोसा था हमको खुद पे और कुदरत पे ऐतबार,
कि हिम्मत के साथ चलेगा ये ज़िंदगी का सिलसिला.

हालात अब तो ऐसे है कि दिखते ना धूप छाँव,
रुसवाइयां इतनी बढ़ीं कि उठते ही नहीं पाँव.
उलझन यही तो अब बस ज़िंदगी में है,
सफीने (पतवार) तो हमने डुबो दिये अब चले कैसे नाव.

मुफ़लिसी (गरीबी) में बीती अपनी ज़िंदगी तमाम,
ग़ुरबत (कठिन समय) ने भी नचाया जैसे उसका हूँ गुलाम.
मैं भी हमेशा चलता रहा हवा के मानिंद (तरह),
सब कुछ सहा जो भी मिला वो ज़िल्लत हो या इनाम.

हाँ नाव है मझधार में पर आंखों में है किनारा,
कूदेंगे अब भँवर में मालिक का है सहारा.
मुकद्दर तेरा तू ही है इस बात को समझ ले,
कल आसमाँ में चमकेगा तेरे नाम का सितारा.

दुनिया को रोशनी से लबरेज़ तू करेगा,
आदर्श संस्कृति का परिवेश तू करेगा.
कर लें जिन्हें करनीं है कितनी भी खुराफातें,
ताकत से हौसले का अभिषेक तू करेगा.

© सुशील मिश्र.
28/01/2013

Friday, January 25, 2013

इल्ज़ाम



इल्ज़ाम

अगर रास्ता दुर्गम नहीं है,
तो बिना हिचके ये मान लीजिए,
की मंजिल में कोई दम नहीं है.

वो पहली मोहब्बत का नशा,
यकीनन भूल तो जाते हम,
मगर क्या करें, ये दिल है मौसम नहीं है.

दोनों के दरमियाँ हुआ जो फासला,
उस जुदाई का था हमें भी रश्क,
पर हम जानते हैं कि तुम्हें इसका इल्म नहीं है.

पहले तो उसके वजूद को ही तोड़ दिया,
और फिर खुद के रसूख से अपना भी लिया,
ये तो किसी भी लिहाज़ से मरहम नही है.

अगर उसने कहा कि ये मुमकिन नहीं,
तो उसके कारण दो ही होंगे,
या तो वो मज़बूर है या उसमें अब दम नहीं है.

फासला बहुत था दोनों में जुदाई के बाद,
ऐसा लोग कहा करते हैं,
क्योंकि लोग कान हैं धडकन नहीं हैं.

अगर मुझमें दिल नहीं है,
तो ये बात एकदम साफ़ मान लीजिए,
कि मेरे लिए कुछ भी मुश्किल नहीं है.

क्योंकि अक्सर दिल के हांथों,
 मज़बूत लोग भी मजबूर  हो जाया करते हैं,
दूरियां तो अमूमन दिलों में ही पैदा होती हैं,
और हम इल्ज़ाम ज़माने को दिया करते हैं.
और हम इल्ज़ाम ज़माने को दिया करते हैं.
          और हम इल्ज़ाम ज़माने को दिया करते हैं...........


© सुशील मिश्र.
25/01/2013






Sunday, January 20, 2013



दिलों में आग का दरिया और बगावत का इरादा हो,
विरोधी दुश्मनों से भी निपटने का इरादा हो.
कोई बारूद रॉकेट तोप उसका कुछ कर नहीं सकते,
वतन पे जांनिसारी का किया जिसने खुद से ही वादा हो.

© सुशील मिश्र.
  20/01/2013

Saturday, January 19, 2013



ज़िगर को जो चाक कर दे, ऐसा कोई काम मत करना.
मोहब्बत में मिली हो गर जुदाई, तो भी उसे बदनाम मत करना.
दिलों के दर्द को जो चौराहों पे, तुम सबको दिखाओगे मुसलसल.
फिर जहां वालों के दिल को, तुम इल्जाम मत करना.

© सुशील मिश्र.
१९/०१/२०१३ 

अनमोल



अनमोल

पा कर खोना खो कर पाना, दुनिया का दस्तूर पुराना.
इस पर भी जो हिम्मत रख ले, वो ही तो है शख्स सयाना.

हम राहों में चलते जाएँ, कठिनाई चाहे जो आये.
पत्थर पानी बन जाएगा, यदि पूरा हम जोर लगाए.

क्यों रोते हो कुछ खोया जो, गम ढोते क्यूँ यदि हारे तो.
सीमा पर सैनिक को देखो, अंगारों में लड़ता है जो.

धरती के धन को पहचानों, एक दूजे का मोल तो जानो.
सकल धरा सुखमय हो जाये, तुम अनमोल हो अब ये मानो.


© सुशील मिश्र.
19/01/2013

Tuesday, January 8, 2013

व्यवहार


व्यवहार

गर किसी ने हाँथ दे तुमको सहारा दे दिया,
खुश हुए तुम भीड़ में उसने किनारा दे दिया.
ये खुशी है या कुछ और तुम इन्हीं ख़्वाबों में थे,
तब तलक उसी हाँथ ने खौफ-ए-मंज़र दे दिया.

देखने में हर इंसान लगता इंसान सा ही है,
क्या पता कि दिल से वो शैतान सा ही है.
जिनका चेहरा हैं मासूम और मुस्कराहट लब पे है,
क्या पता उनका जिगर पत्थर और दिमाग हैवान सा ही है.

ज़िंदगी का सिलसिला भी राहे मंज़र सा ही है,
आज दिखतीं लाखों खुशियाँ कल बवंडर सा ही है.
वो किसी से प्यार तो करता बहुत ही डूबकर,
पर आज के इंसान का व्यवहार खंजर सा ही है.


© सुशील मिश्र.
०८/०१/२०१३