व्यवहार
गर किसी ने हाँथ दे तुमको सहारा दे दिया,
खुश हुए तुम भीड़ में उसने किनारा दे दिया.
ये खुशी है या कुछ और तुम इन्हीं ख़्वाबों में थे,
तब तलक उसी हाँथ ने खौफ-ए-मंज़र दे दिया.
देखने में हर इंसान लगता इंसान सा ही है,
क्या पता कि दिल से वो शैतान सा ही है.
जिनका चेहरा हैं मासूम और मुस्कराहट लब पे है,
क्या पता उनका जिगर पत्थर और दिमाग हैवान सा ही है.
ज़िंदगी का सिलसिला भी राहे मंज़र सा ही है,
आज दिखतीं लाखों खुशियाँ कल बवंडर सा ही है.
वो किसी से प्यार तो करता बहुत ही डूबकर,
पर आज के इंसान का व्यवहार खंजर सा ही है.
© सुशील मिश्र.
०८/०१/२०१३
1 comment:
उत्तम !
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