अनमोल
पा कर खोना खो कर
पाना, दुनिया का दस्तूर पुराना.
इस पर भी जो हिम्मत
रख ले, वो ही तो है शख्स सयाना.
हम राहों में चलते
जाएँ, कठिनाई चाहे जो आये.
पत्थर पानी बन जाएगा,
यदि पूरा हम जोर लगाए.
क्यों रोते हो कुछ
खोया जो, गम ढोते क्यूँ यदि हारे तो.
सीमा पर सैनिक को
देखो, अंगारों में लड़ता है जो.
धरती के धन को
पहचानों, एक दूजे का मोल तो जानो.
सकल धरा सुखमय हो जाये,
तुम अनमोल हो अब ये मानो.
© सुशील मिश्र.
19/01/2013
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