Tuesday, February 19, 2013

आतंक मचाने वालों को हम आज मिटाने आये हैं.


आतंक मचाने वालों को हम आज मिटाने आये हैं.

हम सागर की लहरों में तूफ़ान उठाने आये हैं,
आतंक मचाने वालों को हम आज मिटाने आये हैं.

याद करो वो कुरुक्षेत्र वो हल्दी घाटी कि गाथा,
बलिदानों से यहाँ सदा उन्नत रहता अपना माथा,
इतिहासों की विजयी गाथा हम तुम्हे सुनाने आये हैं,
आतंक मचाने वालों को हम आज मिटाने आये हैं.

याद करो वो राजधर्म जो रघुकुल की परिपाटी थी,
मात पिता गुरुवृन्द सभी की सेवकाई (सेवा) की जाती थी.
संस्कारों में निहित मर्म का दर्पण दिखलाने आये हैं,
आतंक मचाने वालों को हम आज मिटाने आये हैं.

भक्ति-भावना, त्याग-समर्पण, दान-धर्म की परिपाटी,
वन्दनीय है कर्ण, हर्ष और शिवि की जन्मदायिनी माटी.
राजधर्म की परिभाषा हम याद दिलाने आये हैं,
आतंक मचाने वालों को हम आज मिटाने आये हैं.

वीर शिवा सा हिम्मत, ज़ज्बा, शौर्य दिखाना होगा,
संख्या नहीं सामर्थ्य का करतब दिखाना होगा.
रण कौशल में कूटनीति का पाठ पढ़ाने आये हैं,
आतंक मचाने वालों को हम आज मिटाने आये हैं.

इतिहासों की विजयी गाथा हम तुम्हे सुनाने आये हैं,
संस्कारों में निहित मर्म का दर्पण दिखलाने आये हैं.
राजधर्म की परिभाषा हम याद दिलाने आये हैं,
रण कौशल में कूटनीति का पाठ पढ़ाने आये हैं.

हम सागर की लहरों में तूफ़ान उठाने आये हैं,
आतंक मचाने वालों को हम आज मिटाने आये हैं.

© सुशील मिश्र.
19/02/2013

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