Tuesday, July 16, 2013

वफ़ा, नफ़ा और ज़फ़ा

वफ़ा, नफ़ा और ज़फ़ा

कहाँ गये वो इरादे वादे वफ़ा के,
मोहब्बत कि झूठी किताबें पढ़ा के.
भरी दुपहरी को सावन बताकर,
दिखाने लगे तुम इरादे ज़फ़ा के.

उन्होंने मोहब्बत का पैगाम भेजा,
लहू से लिखा खत हमारे नाम भेजा.
जुनूने आशिकी के पर्चे दिखाकर,
गिनाने लगे फिर वो खतरे वफ़ा के.

बहुत दूर थे वो हमारी नज़र से,
शायद वो लौटे ना अबतक सफर से.
मगर राब्ता उनसे कायम बताकर,
बताने लगे वो मतलब नफ़ा के.

वफ़ा से नफ़ा के जो किस्से बताते,
यही हैं जो दिल की है कीमत लगाते.
तासीर इसकी है गहरी बताकर,
दिखाने लगे वो नज़ारे जहां के.

कहाँ गये वो इरादे वादे वफ़ा के,
मोहब्बत कि झूठी किताबें पढ़ा के.
भरी दुपहरी को सावन बताकर,
दिखाने लगे तुम इरादे ज़फ़ा के.

© सुशील मिश्र.
16/07/2013

Meanings :– वफ़ा -Faith,  ज़फ़ा - Unfaith,  नफ़ा – Profit,  राब्ता – Relationतासीर - Impact



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