फ़लसफ़ा
सफ़र मुश्किल तो होता
है, मगर हिम्मत भी देता है.
दिलों में हो अगर
जज़्बा, तो ये जन्नत ही देता है.
एक तो अँधेरी हैं ये
रातें, और मंजिल भी पहेली है.
इसमें भी जो तू हौसला
कर ले, तो वो इनायत ही देता है.
दिन-रात, अँधेरे-उजाले,
सिखाते रहे ज़िंदगी का फलसफा.
इबादत के सफ़र में,
साथ भी मोहब्बत ही देता है.
बुजुर्गों की दुआएं, जो
समेटे अपने दामन में.
खुदा का नूर एहसासों
में ढलकर, उन्हें रहमत ही देता है.
दरख्तों को ज़रा देखो,
या फिर तुम दरिया को ही देखो.
हज़ारों ज़ुल्म सहकर
भी, हमें जीवन ही देता है.
सफ़र मुश्किल तो होता
है, मगर हिम्मत भी देता है.
दिलों में हो अगर
जज़्बा, तो ये जन्नत ही देता है.
© सुशील
मिश्र.
03/07/2014
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