चाँद
कहीं सुना है, कि चाँद यूँ हीं झट से,
किसी के आगोश में आता है,
अरे ये चाँद है, इसके अपने जलवे हैं,
अब ये कुछ नखरे तो दिखाता है.
इसकी अपनी एक ख़ास तासीर है,
जो की इसे सच में चाँद बनाता है,
और यही एक बात है,
की ये सबको लुभाता है.
कोई बात नहीं, नज़दीक तो पहुँच ही गए हैं,
उससे अपना राब्ता तो कायम हो ही गया है,
अब पहली बार झटका दिया तो दिया,
कशिश तो उसके दिल में भी, कायम कर ही दिया है.
अब तक तो उसे हमारी भी काबिलियत का,
ठीक ठाक अंदाजा लग ही गया होगा,
अब तड़पने की बारी उसकी है,
उसे हमारी मोहब्बत का अंदाजा लग ही गया होगा.
फिर लौटेंगे उसी जूनून के साथ,
उसी शिद्दत के साथ, उसी मोहब्बत के साथ,
इस दौरान वो चाँद भी तड़पेगा, हमारी राह देखेगा,
और जब मिलेंगे तो पूरी शिद्दत के साथ आगोश में लेगा.
© सुशील मिश्र
07/09/2019
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