वज़ूद
ज़माने को ये भरम
है कि वो खुद है,
इसीलिए खुदा भी
है.
असल में वो ये
कहना चाहता है,
कि उसकी खुदी से
खुदा का वजूद है.
वो खुद नहीं तो
खुदा भी नहीं.
नादानों को इस बात का इल्म नहीं,
कि ज़मीं है, फलक है, आब है और हवा है,
तब जाके तेरा हमसाया भी तेरा हुआ है.
उसको नहीं ज़रूरत ज़मीं, फलक, आब और हवा की,
ये उसी की आता कि हुई नेमतें हैं,
तब जाकर तेराऽऽऽ होना मुनासिब हुआ है.
जब तू खुद में
खुदा को देखेगा,
मोहब्बत में वफ़ा
को देखेगा,
नेमतें तुझपे ऐसे
बरसेंगीं,
ज़माना भी तुझको
आशनां होके देखेगा.
वज़ूद – Existance, आशनां - Devoted
to love, नेमतें – Gifts, मुनासिब – Possible, आता – Given, फलक – Sky, आब –
Water, इल्म – Knowledge, भरम –
Doubt, खुदी – Himself
© सुशील मिश्र.
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