Saturday, October 27, 2012

वज़ूद


वज़ूद

ज़माने को ये भरम है कि वो खुद है,
इसीलिए खुदा भी है.
असल में वो ये कहना चाहता है,
कि उसकी खुदी से खुदा का वजूद है.
वो खुद नहीं तो खुदा भी नहीं.

      नादानों को इस बात का इल्म नहीं,
      कि ज़मीं है, फलक है, आब है और हवा है,
      तब जाके तेरा हमसाया भी तेरा हुआ है.
      उसको नहीं ज़रूरत ज़मीं, फलक, आब और हवा की,
      ये उसी की आता कि हुई नेमतें हैं,
      तब जाकर तेराऽऽऽ होना मुनासिब हुआ है.

जब तू खुद में खुदा को देखेगा,
मोहब्बत में वफ़ा को देखेगा,
नेमतें तुझपे ऐसे बरसेंगीं,
ज़माना भी तुझको आशनां होके देखेगा.

वज़ूद – Existance, आशनां - Devoted to love, नेमतें – Gifts, मुनासिब – Possible, आता – Given, फलक – Sky, आब – Water,  इल्म – Knowledge, भरम – Doubt, खुदी – Himself

© सुशील मिश्र.

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