Monday, November 19, 2012




तू सितमगर है ये बात सभी जानते हैं,
और तू ज़ालिम भी बहुत है ये भी मानते हैं.
हमें तुझसे नहीं है कोई गिला शिकवा,
क्योंकी हम भी अपने हौसलों को बाखूब पहचानते हैं.

© सुशील मिश्र.

No comments: