दीपावली
दिलों का अन्धेरा अगर
मिटने पाये,
अज्ञानरूपी तमस छंट
ही जाये.
अमावस बहुत देर तक ना
रहेगी,
दिये से दिया जो अगर
ज्योति पाये.
बहुत कालिमा है
चतुर्दिक जगत में,
अंधेरों से यारी जो
करते विपद में.
उन्हें जुगनूंओं से
प्रेरणा लेनी होगी,
कि अकेले ही उजाला करेंगे
जगत में.
उठो आज के दिन ये
संकल्प कर दें,
विद्या, विभा का नया
मंत्र भर दें,
कोई बाल गोपाल वंचित
रहे ना,
उन्हें आज शिक्षा का
उजला चमन दें.
तो ये दीपक सदा ही
दमकते रहेंगे,
पूरे भुवन को
प्रकाशित करेंगे.
नया आस विश्वास मन
में जगाकर,
सम्पूर्ण जग में दीपावली रचेंगे.
© सुशील मिश्र.
12/11/2012
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