हमें भूल जाना न आसां रहेगा
मोहब्बत का तराना लबों पर रहेगा,
दिलों का फ़साना तो कायम रहेगा.
बहुत कोशिशें की भुलाने की हमको,
हमें भूल जाना न आसां रहेगा.
गुलों में है खुशबू तो महकेगा मौसम,
अगर तुम नहीं हो तो कैसा हो सावन.
बहुत दूर से जो चली आ रही है,
सुनो मीठी मीठी मुरलिया की वो धुन.
रहेगा हमेशा वो यादों में बसकर,
लगे ऐसा जैसे हो खुद का ही साया.
बहुत अरसे तक हम थे पलकें बिछाए,
नहीं भूलता है जो दिल में समाया.
वो पंछी अंधेरों में भूले जो राहें,
क्यों मंज़र वो देखें तुम्हारी निगाहें.
न जाने हैं वो अब कहाँ आ गये हैं,
खुदा शायद उनको दे दे पनाहें.
चलो हम तो अब बस इबादत करेंगे,
उसूलों की अब बस हिफाज़त करेंगे.
पड़ें चाहे पत्थर ज़माने के अब तो,
न सच्चाई से अब अदावत करेंगे.
© सुशील मिश्र.
06/03/2013
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