Wednesday, December 5, 2012





मुकद्दर का गर सहारा ही होता,
तो सिकंदर यूँ  ऐसे हारा ना होता.
बहुत फासला था धरा और गगन में,
अगर रोशनी का नज़ारा ना होता.

© सुशील मिश्र.
05/12/2012

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